शाम के झुटपुटे में आँख लगी
थका हुआ नहीं था फिर भी नींद आ गयी
एक सपना देखा
उन बीते हुये दिनों का !
थका हुआ नहीं था फिर भी नींद आ गयी
एक सपना देखा
उन बीते हुये दिनों का !
सपने में तुम नहीं थीं
पर तुम्हारा एहसास था
तीव्र एहसास ............
पर तुम्हारा एहसास था
तीव्र एहसास ............
भूला ही कब था
जो फिर से याद करूँ मैं
तुम्हारी और मेरी कहानी !!!
जो फिर से याद करूँ मैं
तुम्हारी और मेरी कहानी !!!
- - हृषीकेश
वैद्य