नहीं जानता
कि क्यों, किसलिए....
आज ये गीत मैंने
तुम्हारी नज़र कर दिया !
कि क्यों, किसलिए....
आज ये गीत मैंने
तुम्हारी नज़र कर दिया !
सब आस-पास ढूँढ रहे हैं
लेकिन मैं तो
तुम्हारी आँखों में उतर गया ।
हाँ,
अदृश्य बनकर ही तो
किया जाता है मासूम प्यार !!!
लेकिन मैं तो
तुम्हारी आँखों में उतर गया ।
हाँ,
अदृश्य बनकर ही तो
किया जाता है मासूम प्यार !!!
दुहाई में भरोसा नहीं तुम्हें
और रुसवाई की आशंका
पंखुड़ियों के नीचे छिपे काँटों सी
सिर उठाती हैं अक्सर ।
और रुसवाई की आशंका
पंखुड़ियों के नीचे छिपे काँटों सी
सिर उठाती हैं अक्सर ।
पर मैं ...
मैं तो गुज़रती साँसों को
साक्षी बना कर
पी लेना चाहता हूँ
हर आने वाला लम्हा ...
मैं तो गुज़रती साँसों को
साक्षी बना कर
पी लेना चाहता हूँ
हर आने वाला लम्हा ...
- हृषीकेश वैद्य
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