Monday, November 23, 2015

देखो , अतीत चला आया वर्तमान में ...




अजब थी वो उम्र भी !!!
मिट्टी की गुड़िया 
जो टुबुक टुबुक सिर हिलाती थी 
चाबी वाला बंदर 
जो डब-डब ड्रम बजाता था । 
बबूल का गोंद खाने के लिए 
अक्सर काँटों से उलझ पड़ता था ।
वो मेला ...
जो चैत्र नवरात्र में भरा करता था 
और वो तारा टूरिंग टॉकीज़
जिसके शामियाने में झाँककर 
देखा करते थे सिनेमा .....

ओह, 
देखो अतीत चला आया 
वर्तमान में !!
या ख़ुदा
फिर से लौटा ला 
बस एक बार,
विनोद खन्ना का यौवन...
उस बचपन के बदले !!!

-हृषीकेश वैद्य
  

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