एक खुशनुमा दिन....
अपने पीछे,
इतनी उदास रात क्यूँ छोड़ जाता है !
अपने पीछे,
इतनी उदास रात क्यूँ छोड़ जाता है !
वो चाय ...
जिसने कुछ देर पहले ,
मेरा मुँह जला दिया था ।
रखकर भूल गया, तो शरबत बन गयी ।
जिसने कुछ देर पहले ,
मेरा मुँह जला दिया था ।
रखकर भूल गया, तो शरबत बन गयी ।
देखो तो ...
कुछ भी ‘ सम ’ नहीं
मेरी ज़िंदगी में !!!
कुछ भी ‘ सम ’ नहीं
मेरी ज़िंदगी में !!!
तुमसे खफ़ा होना तो बस इक बहाना है।
दरअसल,
खफ़ा तो मैं अपनेआप से हूँ ........
दरअसल,
खफ़ा तो मैं अपनेआप से हूँ ........
- - हृषीकेश
वैद्य
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